अमर शहीद कालीबाई
गुलामी के समय में अंग्रेज न सिर्फ लोगों को, बल्कि यहां के शिक्षा व्यवस्था को भी,अपनी कूटनीति का एक शस्त्र बनाकर उपयोग करते थे।लेकिन उस समय भी ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं थी,जो अंग्रेजों को उन्हीं के पद्धति से परास्त करना जानते थे।यही कारण था कि सदैव ऐसी पाठशालाएं भी अंग्रेजी शासन के कोप-भाजन का शिकार बनती थी। दोस्तों,आज मैं आपको एक ऐसी ही कहानी अपने इस ब्लॉक पोस्ट के माध्यम से सुनाने जा रहा हूं।बात राजस्थान के डूंगरपुर जिले के रास्तापाल गांव की है।गांव में भीलों की एक बस्ती थी।उस भीलों की बस्ती में एक छोटी सी पाठशाला थी।जिसका संचालन नाना भाई और सेंगा भाई नाम के दो देश प्रेमी शिक्षक मिलकर करते थे।वह दोनों आदिवासी भीलों के बीच शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और देशभक्ति की भावना का प्रसार करते थे।उनके इस कार्य की भनक अंग्रेजों के ही किसी दलाल ने जिला मजिस्ट्रेट तक पहुंचा दी।अंग्रेजी जिला मजिस्ट्रेट इस पाठशाला को बंद करने का आदेश सुना दिया। लेकिन उनके आदेश को अनदेखी कर से सेंगा भाई ने पाठशाला पाठशाला को बंद नहीं किया,इस बात का पता जब जिला मज...